Sunday, January 23, 2011

तिरंगा फहराने से कोई नहीं रोक सकते....दम हो तो राहुल और उमर भी जाये लाल चौक तिरंगा फहराने

 26 जनवरी को  गणतंत्र दिवस है...भारत का अपना संविधान लागु हुआ  था....देश का राष्टीय ध्वज तिरंगा होगा...
 यह भी संविधान मे कहा गया  है...., तिरंगा हमारे स्वाभिमान का प्रतिक है....
 हमारे देश का प्रतिक है, वह आन बान और शान का प्रतिक है... उसके लिए लाखों माताओं  की गोद इसलिए सुनी हुई थी की तिरंगा इस देश मे शान से फहराया जा सके.... ,लाखों नव विवाहिताओं  की मांग का सिंदूर इसी तिरंगे को सम्मान से फहराएँ जाने के अधिकार के लिए कुर्बान हो गया...,कई बहनों की राखी कलाई को तरस रही थी क्यों की वो कलाई देश हित मे उठी थी जिसे अंग्रेजों ने काट दिया....लाखों बच्चों को इसी तिरंगे के खातिर अनाथ होना पड़ा... कई तो माँ की कोख मे ही थे और पिता  का साया उठ गया...कई विधवाओ युवतियों की अस्मिता से खेला गया क्यों की वो तिरंगे को ऊसका हक़ दिलाने की जंग मे अपने पिता,भाई,पति और बेटे से कदम ताल कर रही थी...कई बूढ़े माँ बाप इसलिए दम तोड़ चुके थे की उनका बुढ़ापे सहारा कोई नहीं बचा था...लेकिन आज वो तिरंगा आज भारत के एक प्रदेश मे फहराना चुनोती बन गया... वहां तिरंगा फहराने पर एसा माहोल तैयार किया जा रहा है जैसे कुछ युवा तिरंगा फहराने पाकिस्तान जा रहे हो....यासीन मालिक जैसे गुंडे आज तिरंगा न फहराने की चुनोती देकर भी छुट्टे घूम रहे है....तिरंगा फहराने जाने वालों को रोकने के लिए तिन हजार से अधिक सैनिक  तैनात किये जा रहे है...मुझे  समझ नहीं आ रहा  की   लाल चोक पर पाकिस्तानी झंडा  फहराया जाये तो हंगामा नहीं होगा और तिरंगा फहराने की बात आती है तो बवाल खड़ा कर दिया जाता है...विश्व का एस कोनसा देश है जहा के युवा वहां का झंडा नहीं फहरा सकते...आखिर क्यों कश्मीर के लाल चौक मे तिरंगा नहीं फहराया जा सकता...तिरगा भारत मे नहीं तो क्या पाकिस्तान इटली या वाशिंगटन मे फहराया जायेगा...दुर्भाग्य है देश का  भारतीय तिरंगा जला दिया  जाये लेकिन.... "वन्दे मातरम"  कहना  सांप्रदायिक हो गया....कश्मीर मे पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे खुलेआम लगाओ लेकिन भारत माता की जय कहना जैसे गुनाह  हो  गया....आतंकवादी  अफजल को फासी दी तो देश जल उठेगा...कसाब को सूली पर टांगा तो कश्मीर धधक उठेगा...कश्मीर के भारत मे  विलय प्रश्न खड़े करने वाली अरुंधती पर प्रकरण दर्ज नही किया गया...तब भी मसला कश्मीर को लेकर था.. सवाल देश पर था...किन्तु तब उमर अब्दुल्ला ने क्यों...अरुंधती को गिरफ्तार करने के आदेश नहीं दिए..आखिर क्यों... तिरंगा जलाने वाले... पाकिस्तान समर्थक नारे लगाने वाले...अफजल,कसाब के समर्थन मे बोलने वालों को आज तक जेल की सलाखों...मे बंद नहीं किया....????  आखिर क्यों अफजल को फासी नहीं दी जा रही...??? क्यों बटला हॉउस के शहीद की शाहदत पर प्रश्न चिन्ह लगाया जाता है...??? कांग्रेस चाहती है क्या है...उसे स्पष्ट करना चाहिए...क्या वह नहीं चाहती की लाल चौक पर पाकिस्तानी झंडे की जगह भर का तिरंगा लहराए...??? अगर हाँ तो उसे चाहिए...  भाजपा और कांग्रेस की राजनितिक प्रतिद्वंदिता से उठकर लाल चोक पर तिरंगा फहराने जाने जाने वाले युवाओं  को सुरक्षा देने के लिए... फौज की तैनाती करे न की तिरंगा फहराने जाने वालों को रोकने हेतु...
कांग्रेस को डर है की कही भाजपा को इसका रानीतिक लाभ न हो  जाये  तो उसे राहुल और उमर अब्दुल्ला को भी तिरंगा फहराने हेतु लाल चोक भेज देना चाहिए...लेकिन याद रहे भारत के युवाओ की नसों मे रक्त अभी  शेष है और जब तक भारत के लहू मे गर्मी और धमनियों श्वास शेष है.. तब तक कश्मीर तो क्या देश सीमा पर भी तिरंगा फहराने से   कोई नहीं रोक सकते....

अब युवा शक्ति कॆ गर्जन सॆ, संसद की दीवारॆं थर्रानॆं दॊ !!
काश्मीर के जर्रे-जर्रे मॆं अब, राष्ट्र-तिरंगा फ़हरानॆ दॊ..... !!

आओ  तिरंगा लाल चौक पर फहराएँ....अपना "युवधर्म" निभाए...
  

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