उन्मुक्त गगन में उड़ना है, झंझावातों से लड़ना है !
चाहे जितना भाग्य रोक ले ,चाहे जितना दुनिया टोंक ले !!मुझको तो बस उड़ना है, झंझावातो से लड़ना है !!!
निकला हूँ में मिथक तोड़ने, निकला हूँ में इतिहास जोड़ने!
न रोकूंगा राह में अपनी ,न रोकूंगा चाल में अपनी !!
बदले चाहे नदियाँ राहे अपनी , वायु वेग लगा ले अपनी !!!
न बदलूँगा राह में अपनी, मुझको तो बस उड़ना है !
नया पैमाना गढ़ना है , दुनिया को ये समझाना है !!
झंझावातो से लड़ना है , मुझको तो बस उड़ना है !!!
दम है जिसमे राह रोक ले, चाहे जितनी ताकत झोंकले !
ज्वाला मुखी राहों में बनाले, चाहे मेरा रक्त सोखले !!
मुझको तो बस उड़ना है झंझावातों से लड़ना है ..!!!
संघर्षों की गाथा लिखने , निकला हूँ में आज जितने!
सीमाए क्या होती है, बाधाएं क्या होती है !!
हमने यदि ठान लिया तो विपदाएँ भी रोती है !!!
झंझावातों से लड़ना है ...मुझको तो बस उड़ना है....!!!!
नामुमकिन को मुमकिन करने ,स्वप्न अपने साकार करने !
सफलताओं का आकाश गढ़ने ,मुझको तो बस उड़ना है !!
उन्मुक्त गगन में उड़ना है, झंझावातों से लड़ना है ...!!!
मुझको तो बस उड़ना है .....मुझको तो बस उड़ना है....मुझको तो बस उड़ना है.....
-हितेश शुक्ला
great poem mere raja...yakinan apko to udna hai aur udkar bahut dur tak jana hai...
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