Friday, March 8, 2013

एक अनसुलझा प्रश्न...???
















{8 मार्च अंतरष्ट्रीय महिला दिवस}

अबला नहीं वो ,शक्ति का भूचाल है !
सागर नहीं वो आंसुओं का , क्रोध का वो ज्वाल है !!
 धेर्य और धीरज बसा, है जिसके हर एक  रग में !
प्रत्येक  पीड़ा सहती, है मुस्कुराकर जीवन में !!
प्रेम ,सोन्दर्य और वह श्रंगार है !
शांति की है वो  प्रतिमा ,वक्त पर अंगार है !!
जिस कोख में आकार , लेते कृष्ण और महाकाल भी !
पलता है  उस  आँचल मे,प्रलय और निर्माण भी !!
  सृजन में ब्रम्हांड के , भी है वही शाश्वत धुरी !!
 कल्पना भी जन्म की ,जिसके बिना है अधूरी !
 संस्कारों की संकल्पना का वही भंडार है  !
 रीत, रस्मो,रिवाजो का वही आधार है !!
चिंता खुद की छोड़ सदा ही , त्याग समर्पण करती वो !
जीवन पथ के हर कंटक पर ,साथी बनकर चलती वो !!
होता नहीं यदि सृष्टि निर्माण, नहीं अगर होती वो !!
 फिर क्यों अपना अस्तित्व बचाने, हरदम जीती मरती वो ...???


                                                                                      - हितेश शुक्ला


2 comments:

  1. बहुत सुंदर दोस्त...हमें गर्व है तुम पे और तुम्हारे विचारों पर :)

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