Tuesday, May 25, 2021

आइएमए के बहाने निशाने पर बाबा रामदेव



"एलोपैथी संजीवनी और चिकित्सक है देव दूत" -:
 
           बाबा का समर्थन बिल्कुल एलोपैथी की पद्दति और चिकित्सा जगत का विरोध नही है । कोरोना के इस दौर और इससे पहले भी लगातार मैं और मेरे जैसे करोड़ो को एलोपैथी ने संजीवनी और चिकित्सको ने देवदूत बन नवजीवन दिया है । बाबा की टिप्पणी पर आईएमए का विरोध सही है , लेकिन आईएमए के बहाने किसी और एजेण्डे से झूठा प्रोपेगैंडा खडा कर योग गुरु का विरोध करना अनुचित है । वह भी जब तबकी बाबा ने इस मुद्दे अपनी और से सफाई दी है।खेद भी प्रकट किया है ।
बाबा रामदेव के एलोपैथी चिकित्सा पद्दति को लेकर बयान के बाद इंडियन मेडिकल एसोसिएशन में बाबा पर fir औऱ गिरफ्तारी व कार्यवाही की मांग की इस मुद्दे पर योग गुरु ने विज्ञप्ति जारी कर खेद जताते हुए अपनी बात भी कही है उन्होंने कहा कि चिकित्सा पद्दति और चिकित्सक के श्रम और उनके कार्य समर्पण का सम्मान करते है उनका उद्देश्य कुछ मुद्दों को लेकर है एलोपैथी का नही ।
इस मुद्दे पर देश मे बाबा के विरोधियों ने ima का बहाना लेकर बाबा को फ्रॉड से लगाकर पता नही किन किन उपाधियों से नवाजा है । डॉक्टरों का अपमान बताया जा रहा जबकि वीडियो में ऐसा कुछ नही जिससे डॉ पर उनकी सेवा समर्पण पर उंगली उठाई हो । विवाद में बाबा के विरुद्ध हवा बनाने में ima की आड़ में बड़ी मात्रा में फेक आईडी, वैचारिक विरोधियों के साथ, आर्थिक,सामाजिक,राजनैतिक,धार्मिक, कट्टरता वादी सम्मिलित है । साथ ही मेरा मानना है इस विवाद की तह में वे भी शामिल है जिनको बाबा के उत्पादों के कारण भारी घाटा हो रहा है । आइये इस विवाद को समझते है ।

क्या है बाबा रामदेव पर विवाद -:

बाबा रामदेव ने योग शिविर में एलोपैथी के बारे में किसी राकेश के भेजे हुए,वाट्सएप पर मेसेज को पढ़कर सुनाया मुझे लगता है । दिन में कई मेसेज ऐसे ही हम आप और वाट्सएप यूजर पढ़ते है फॉरवर्ड कर देते है । खेर यहां मुद्दा योगगुरु रामदेव है विवाद यह है कि उन्होंने वाट्सएप के एलोपैथी विरोधी मैसेज पढ़ा और उसमें कुछ विसंगतियों का जिक्र किया और वही कहा जिनका हम भी साइड इफेक्ट के नाम पर अक्सर जिक्र करते है । जिसके बाद उन्होंने अपने बयान जारी कर खेद जताया है । जिसमे देश के डॉ. व चिकित्सा क्षेत्र के सम्मान करता हूँ यह बात भी उन्होंने उसी शिवीर में कही लेकिन बस रामदेव को टार्गेट करना है इसलिए कुछ लोगों ने ima के मुद्दे को हाइजेक कर लिया ।
एलोपैथी पर बयान तो आईएमए का विरोध जायज -:
बाबा रामदेव चूंकि आयुर्वेद योग के समर्थक है । उनका झुकाव व ध्यान अन्य चिकित्सा पद्दतियों की बजाय आयुर्वेद की श्रेष्ठता पर अधिक होना स्वाभाविक है । उनके द्वारा एलोपैथी विरोधी वाट्सएप मेसेज का पढ़ना और उस पर एलोपैथी की कमियाँ साइड इफेक्ट को लेकर सार्वजनिक टिप्पणी आयुर्वेद के पक्ष में या रुझान बढाने में सहयोगी हो सकता है । लेकिन आज सर्वाधिक प्रचलित सर्वाधिक सहज उपलब्ध और तत्काल राहत हेतु एलोपैथिक चिकित्सा पद्दति सर्वाधिक उपयुक्त है । बाबा की पद्दति को लेकर टिप्पणियाँ ऐसे समय जब एलोपैथी पूरी दुनिया के लिए संजीवनी की तरह है । तो इंडियन मेडिकल एसोसिएशन का वीरोध जायज है । बाबा को भाषा के उपयोग में सावधानी रखनी चाहिए थी ।

टार्गेट पर बाबा रामदेव,मुद्दे को भटकाया -:

जिन्होंने देश के भृष्टाचार पर मुखर होकर सत्ता के खिलाफ मोर्चा खोला था । ये वही रामदेव है जिन्होंने योग और आयुर्वेद को किताबो से निकाल कर सर्वव्यापी बनाने में योगदान दिया है । इन्ही योग गुरु ने पतंजलि के उत्पादों से कई विदेशी घरेलू उत्पादों की छुट्टी कर दी है । सुनीता नारायण की रिपोर्ट से पता चला था कि देश को कोला और पेप्सी पेस्टिसाइड और कई ज़हरीले पदार्थ पिला रहे है ।जन जागरण करयोग गुरू रामदेव ने कोला पेप जैसी कंपनियों को देश मे पानी मांगने पर मजबूर कर दिया है। चाइना के रोग को भारत का कोरोना और कोरोना का भारतीय वेरियंट कहने वाले ।चाइना जीवी विपक्ष, पेड सोशल मीडिया हैंडलर देश की सरकार के विरोधी चुप है। इस विवाद के पीछे हवा देने वाले ये वही राजनीतिक लोग है जो विज्ञान का अपमान कर वैक्सिन का विरोध करते है । और वही दो मुहे लगभग 50 लाख वैक्सिन बर्बाद करवा कर कुछ समय बाद वैक्सिन दो के पोस्टर लगाते है । रामदेव के मसले पर भी चिकित्सा पद्दति पर विवादित तथाकथित टिप्पणि के बहाने सारे वैचारिक और सांस्कृतिक विरोधी आईएमए के विरोध से इतर बस बाबा को डैमेज करने के काम मे जुट गए है ।
(लेख में लेखक के निजी विचार है ) :
 (पत्रकारिता विश्वविद्यालय के शोध छात्र है )
hiteshshukla01@rediffmail.com

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