असत्य खूब इठलायेगा
ढेरों षड्यंत्र रचायेगा
धनबल पर दंभ करेगा
संसाधन पर इतरायेगाख़ूब करेगा मानमर्दन
रोज हंसी उड़ाएगा
सत्य फिर देगा अग्निपरीक्षा
हर दुःख में करे धर्म की रक्षा
हर कठिनाई सह जाएगा
चरम पर जब पहुंचेंगे पाप
हद से ज्यादा जब होगा अनाचार
फिर अवश्य होगा अवतार
कटेंगे असत्य के पर
होगा अनाचार पर वार
तब धनबल भी काम न आयेगा
अधर्मी अति बढाएगा
अधर्म अस्मिता तक आजायेगा
शक्ति हरण गलती करते ही
पतन का मार्ग अपनाएगा
तप,धन,बल धरा रह जायेगा
विनाश का द्वार खुल जायेगा
एक मानव राम आएगा
दूत सोने की लंका जलाएगा
जागने के अवसर दे जाएगा
चेतावनी है समझोगे तो बच जाओगे
फिर भी न सम्हले तो अतीत बन जाओगे
अधर्म की बुद्धि अति करवाती है
अति विनाश तक जाती है
न चाहकर भी कुमार्ग पर ले जाती है
मर्यादा पुरुषोत्तम को चुनोती दे जाती है
बस वही क्षण होता है
पाप का घड़ा भर जाएगा
तब लगता है कोई आएगा
धर्म ध्वज फहराएगा
असत्य,विधर्मी बच नही पायेगा
अधर्म का विनाश तय हों जायेगा है
धर्म बस इतना विश्वास रखना
सत्य चाहे जितना दुखी होगा
एक दिन असत्य जरूर हारेगा
नवमी आएगी राम को लाएगी
दशहरा आयेगा तमस मिटाएगा
असत्य अधर्म अन्याय अस्त होंगे
पृथ्वी पर राम सत्योदय करेंगे
सत्य हर हाल में जीत जाएगा
सत्य हर हाल में जीत जाएगा
-: हितेश शुक्ल
शुभ विजय दशहरा
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