Friday, October 15, 2021

दशहरा आयेगा तमस मिटाएगा

 


असत्य खूब इठलायेगा

ढेरों षड्यंत्र रचायेगा

धनबल पर दंभ करेगा

संसाधन पर इतरायेगा
ख़ूब करेगा मानमर्दन
रोज हंसी उड़ाएगा
सत्य फिर देगा अग्निपरीक्षा
हर दुःख में करे धर्म की रक्षा
हर कठिनाई सह जाएगा
चरम पर जब पहुंचेंगे पाप
हद से ज्यादा जब होगा अनाचार
फिर अवश्य होगा अवतार
कटेंगे असत्य के पर
होगा अनाचार पर वार
तब धनबल भी काम न आयेगा
अधर्मी अति बढाएगा
अधर्म अस्मिता तक आजायेगा
शक्ति हरण गलती करते ही
पतन का मार्ग अपनाएगा
तप,धन,बल धरा रह जायेगा
विनाश का द्वार खुल जायेगा
एक मानव राम आएगा
दूत सोने की लंका जलाएगा
जागने के अवसर दे जाएगा
चेतावनी है समझोगे तो बच जाओगे
फिर भी न सम्हले तो अतीत बन जाओगे
अधर्म की बुद्धि अति करवाती है
अति विनाश तक जाती है
न चाहकर भी कुमार्ग पर ले जाती है
मर्यादा पुरुषोत्तम को चुनोती दे जाती है
बस वही क्षण होता है
पाप का घड़ा भर जाएगा
तब लगता है कोई आएगा
धर्म ध्वज फहराएगा
असत्य,विधर्मी बच नही पायेगा
अधर्म का विनाश तय हों जायेगा है
धर्म बस इतना विश्वास रखना
सत्य चाहे जितना दुखी होगा
एक दिन असत्य जरूर हारेगा
नवमी आएगी राम को लाएगी
दशहरा आयेगा तमस मिटाएगा

सत्य का प्रकाश फैलाएगा
असत्य अधर्म अन्याय अस्त होंगे
पृथ्वी पर राम सत्योदय करेंगे
सत्य हर हाल में जीत जाएगा
सत्य हर हाल में जीत जाएगा


-: हितेश शुक्ल
शुभ विजय दशहरा







Tuesday, May 25, 2021

ऐसे_थे_हम_सबके_अपने_विजेश_जी

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अपनो की फिक्र रहती थी हर पल उन्हें ।
मदद में फ़रिश्ते सा लड़ जाते वो तूफानों से भी..।।

(5 मई 2021स्मरणांजली -श्री Vijesh Lunawat  जी ) 

    4 से 5 दिन पहले ही मुझे फोन किया " हाँ #हितेश  कहाँ है... कैसा है...यार ध्यान रखना,सावधानी के साथ खुद को बचाते हुए ,जम के जितनी हो सके अपनो की मदद करो,कोई जरूरत हो तो मुझे बताना ,पूछा आप कैसे हो.. वाह, अच्छा बेटा हमने लगाया तो पूछ रहा, अच्छा चल मैं ठीक हूँ बहुत दिन हो गए अपने को मिले कोरोना से निपट लें फिर मिलते है।" विजेश लुणावत मतलब आपकी हर पल बिन कहे चिंता नही मदद करने वाला । अपनो के लिये हर हद पर लड़ जाने वाला । खुद की छोड़ अपनो की फिक्र हरवक्त रही उनको । ऐसा जिंदादिल इंसान की अर्श से फर्श वाला उनके पास जो जाता कुछ लेकर ही जाता । बड़ी से बड़ी मुश्किल सरकार या संगठन का हर मर्ज की दवा थी उनके पास ।  राजनीति से हटकर जो मदद के लिए जाता तैयार रहते थे । कुछ कार्यकर्ता ऐसे होते है जिनकी जरूरत संगठन को रहती है ऐसे ही थे विजेश जी, हर एक के अपने विजेश जी, ऊनके जाने की खबर से हर किसी ने अपना खो दिया । मेरी मुलाकात अभाविप में भोपाल रहने के दौरान  रजनीश जी अग्रवाल के साथ हुई । उनके शुरुआती दिनों में एक साल तक खूब डॉट खाता रहा । मेलजोल और संपर्क लगातार रहा । आखिर उनको स्नेह हो गया, तो बोले बदमाश को इतना भगाने की कोशिश की लेकिन दिल मे बैठ ही गया  । कुछ समय बाद बेहद परेशानियों के दौर में जब लगा कि जीवन और संगठन में अपने लिए कुछ है ही नही तब उन्होंने जोड़ कर रखा  हिम्मत होंसला और ताकत बन विजेश जी और रजनीश भैया ने बड़े भाई और पिता जी के उपचार के दौरान उन्होंने  ताकत ,हिम्मत और साथ दिया मुझे टूटने बिखरने से बचाया मेरे लिए बहुत श्रद्धा के केंद्र थे ।  राजनीतिक क्षेत्र वो योग्यता को तरजीह देने वाले नेता थे । वे  कहा करते थे "राजनीती में बहुत लोग है पर राजनीति को भी योग्यता की जरूरत है " मेरे राजनीतिक नही  हर व्यक्तिगत जीवन के फैसले में शामिल रहते थे । गड़बड़ पर भयावह सार्वजनिक बड़े भाई की डांट हर वक्त थी । उसमें जो अपना पन होता शायद आज कही मिल सके ।  हर किसी की निस्वार्थ मदद करना उनका स्वभाव था । बिन कहे मदद करना उनकी खासियत । दूर रहकर भी बिन कहे अपनो के लिए लड़ जाना उनको सबसे अलग करता है । 
#आखिरी_मुलाकात....
 कुछ माह पहले उनके जन्म दिन के एक दिन पहले मैंने यूँही फोन किया भैया आपकी याद आ रही..तो आजा भोपाल, मैं पहुंच गया फोन किया तो नही उठा ऑफिस पहुंचा नही मिले घर पहुंचा गार्ड ने कहा साहब बाहर हैं, स्वास्थ्य गत कारणों वे से किसी से मिल नही रहे थे। मैंने देखा कि उन्ही का फोन कॉल था  मैंने कहा भाईसाहब मैं मिलने आया हूँ परआप नही है जन्म दिवस की बधाई ...बोले अरे कहाँ है मैंने कहा आपके घर के बाहर..पूजा चल रही थीं छोड़ कर आये तू बैठ मैं पूजा चल रही आता हूँ । उनको देख कर मैं हिल गया भाईसाहब को हो क्या गया दुबले पतले से...कमजोर, सोच रहा था इतने में आगये ,बोले तू तो सही में आ गया बे..मैंने हंसते हुए कहा हाँ और प्रणाम किया , मेरी आँखें पता नही क्यो भर आईं  बोले क्या हुआ रे..चल मिठाई खा ..मैं कुछ बोलने की हिम्मत नही जुटा पाया वो बोले मैं अब ठीक हूँ, तू कैसा है, डरा ही दिया था यार तूने तो.. मुझे तेरी पता चली तो दो दिन डॉ.ने कंट्रोल में है ये नही बताया तब तक तूने बहुत टेंशन दे दिया था । मैंने कहा आपके कारण ठीक हूँ ..बोले मैं भी ...तुम सबके कारण ठीक हूँ । हम सब एक दूसरे के "आत्मबल " हिम्मत   है..बस आखिरी मुलाकात के वक्त उन्होंने इतना और कहा कि जीवन का भरोसा नही यार मिलते रहा करो । अपना ध्यान रखो बड़ों की बात मान लिया कर , बात कर लिया कर । मुझे नही पता था वो मुलाकात आखिरी होगी । उसके बाद मेरी तरह हजारों का आत्मबल सदा के लिए हमको इस तरह तोड़ कर चला जायेगा । ये स्वप्न में नही सोचा । बेहद दुखी मन से अंतिम प्रणाम अश्रुपूरित श्रद्धांजलि👏-: हितेश शुक्ला

आइएमए के बहाने निशाने पर बाबा रामदेव



"एलोपैथी संजीवनी और चिकित्सक है देव दूत" -:
 
           बाबा का समर्थन बिल्कुल एलोपैथी की पद्दति और चिकित्सा जगत का विरोध नही है । कोरोना के इस दौर और इससे पहले भी लगातार मैं और मेरे जैसे करोड़ो को एलोपैथी ने संजीवनी और चिकित्सको ने देवदूत बन नवजीवन दिया है । बाबा की टिप्पणी पर आईएमए का विरोध सही है , लेकिन आईएमए के बहाने किसी और एजेण्डे से झूठा प्रोपेगैंडा खडा कर योग गुरु का विरोध करना अनुचित है । वह भी जब तबकी बाबा ने इस मुद्दे अपनी और से सफाई दी है।खेद भी प्रकट किया है ।
बाबा रामदेव के एलोपैथी चिकित्सा पद्दति को लेकर बयान के बाद इंडियन मेडिकल एसोसिएशन में बाबा पर fir औऱ गिरफ्तारी व कार्यवाही की मांग की इस मुद्दे पर योग गुरु ने विज्ञप्ति जारी कर खेद जताते हुए अपनी बात भी कही है उन्होंने कहा कि चिकित्सा पद्दति और चिकित्सक के श्रम और उनके कार्य समर्पण का सम्मान करते है उनका उद्देश्य कुछ मुद्दों को लेकर है एलोपैथी का नही ।
इस मुद्दे पर देश मे बाबा के विरोधियों ने ima का बहाना लेकर बाबा को फ्रॉड से लगाकर पता नही किन किन उपाधियों से नवाजा है । डॉक्टरों का अपमान बताया जा रहा जबकि वीडियो में ऐसा कुछ नही जिससे डॉ पर उनकी सेवा समर्पण पर उंगली उठाई हो । विवाद में बाबा के विरुद्ध हवा बनाने में ima की आड़ में बड़ी मात्रा में फेक आईडी, वैचारिक विरोधियों के साथ, आर्थिक,सामाजिक,राजनैतिक,धार्मिक, कट्टरता वादी सम्मिलित है । साथ ही मेरा मानना है इस विवाद की तह में वे भी शामिल है जिनको बाबा के उत्पादों के कारण भारी घाटा हो रहा है । आइये इस विवाद को समझते है ।

क्या है बाबा रामदेव पर विवाद -:

बाबा रामदेव ने योग शिविर में एलोपैथी के बारे में किसी राकेश के भेजे हुए,वाट्सएप पर मेसेज को पढ़कर सुनाया मुझे लगता है । दिन में कई मेसेज ऐसे ही हम आप और वाट्सएप यूजर पढ़ते है फॉरवर्ड कर देते है । खेर यहां मुद्दा योगगुरु रामदेव है विवाद यह है कि उन्होंने वाट्सएप के एलोपैथी विरोधी मैसेज पढ़ा और उसमें कुछ विसंगतियों का जिक्र किया और वही कहा जिनका हम भी साइड इफेक्ट के नाम पर अक्सर जिक्र करते है । जिसके बाद उन्होंने अपने बयान जारी कर खेद जताया है । जिसमे देश के डॉ. व चिकित्सा क्षेत्र के सम्मान करता हूँ यह बात भी उन्होंने उसी शिवीर में कही लेकिन बस रामदेव को टार्गेट करना है इसलिए कुछ लोगों ने ima के मुद्दे को हाइजेक कर लिया ।
एलोपैथी पर बयान तो आईएमए का विरोध जायज -:
बाबा रामदेव चूंकि आयुर्वेद योग के समर्थक है । उनका झुकाव व ध्यान अन्य चिकित्सा पद्दतियों की बजाय आयुर्वेद की श्रेष्ठता पर अधिक होना स्वाभाविक है । उनके द्वारा एलोपैथी विरोधी वाट्सएप मेसेज का पढ़ना और उस पर एलोपैथी की कमियाँ साइड इफेक्ट को लेकर सार्वजनिक टिप्पणी आयुर्वेद के पक्ष में या रुझान बढाने में सहयोगी हो सकता है । लेकिन आज सर्वाधिक प्रचलित सर्वाधिक सहज उपलब्ध और तत्काल राहत हेतु एलोपैथिक चिकित्सा पद्दति सर्वाधिक उपयुक्त है । बाबा की पद्दति को लेकर टिप्पणियाँ ऐसे समय जब एलोपैथी पूरी दुनिया के लिए संजीवनी की तरह है । तो इंडियन मेडिकल एसोसिएशन का वीरोध जायज है । बाबा को भाषा के उपयोग में सावधानी रखनी चाहिए थी ।

टार्गेट पर बाबा रामदेव,मुद्दे को भटकाया -:

जिन्होंने देश के भृष्टाचार पर मुखर होकर सत्ता के खिलाफ मोर्चा खोला था । ये वही रामदेव है जिन्होंने योग और आयुर्वेद को किताबो से निकाल कर सर्वव्यापी बनाने में योगदान दिया है । इन्ही योग गुरु ने पतंजलि के उत्पादों से कई विदेशी घरेलू उत्पादों की छुट्टी कर दी है । सुनीता नारायण की रिपोर्ट से पता चला था कि देश को कोला और पेप्सी पेस्टिसाइड और कई ज़हरीले पदार्थ पिला रहे है ।जन जागरण करयोग गुरू रामदेव ने कोला पेप जैसी कंपनियों को देश मे पानी मांगने पर मजबूर कर दिया है। चाइना के रोग को भारत का कोरोना और कोरोना का भारतीय वेरियंट कहने वाले ।चाइना जीवी विपक्ष, पेड सोशल मीडिया हैंडलर देश की सरकार के विरोधी चुप है। इस विवाद के पीछे हवा देने वाले ये वही राजनीतिक लोग है जो विज्ञान का अपमान कर वैक्सिन का विरोध करते है । और वही दो मुहे लगभग 50 लाख वैक्सिन बर्बाद करवा कर कुछ समय बाद वैक्सिन दो के पोस्टर लगाते है । रामदेव के मसले पर भी चिकित्सा पद्दति पर विवादित तथाकथित टिप्पणि के बहाने सारे वैचारिक और सांस्कृतिक विरोधी आईएमए के विरोध से इतर बस बाबा को डैमेज करने के काम मे जुट गए है ।
(लेख में लेखक के निजी विचार है ) :
 (पत्रकारिता विश्वविद्यालय के शोध छात्र है )
hiteshshukla01@rediffmail.com